( तर्ज - लिजो लिजो खबरीया ० )
कैसे जाऊँ मैं मोरी
गलि बंद भई ।
जमुना भरके चली
थोरी रीघ नहीं ॥ टेक ॥
बीचमें खड़े हैं
श्याम नंदके लला ।
रोक देखे ग्वालनको
क्या करूँ भला ? ।
मोरे नैननबीच
न सूझे कोई || १ ||
चित्तके चुरानेहार
आगये यहाँ ।
होगयी दिवानी ,
मुझे ना सुझे ' कहाँ ? ' ।
सारी श्यामने मोरि
मति बाँध लई ॥ २ ॥
बस गये जियामें श्याम ,
काम ना रहा ।
श्यामही खबर पड़े
जहाँ लखो वहाँ ।
सारी तुकड्याकी बातें
तो योंही रही ॥ ३ ॥
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